स्वेटर

तुम्हारे हाँथ का बुना स्वेटर तो नही, याद दिलाती हुई सर्द हवाएं हैं यहाँ
ठण्ड लगती है हाँथ पाव में हथेली मल लेता हूँ, पाँव को मनाना पड़ता है

अखबार नही मकानों के इश्तेहार हैं, कई घरों की खबर छुप जाती है इनमे
मैं तसल्ली के लिए अपने शहर के मौसम का हाल पढ़ लेता हूँ

एक नया दोस्त बना है मेरा शायद कभी तारों, कभी बादल संग दिखता है
लोगों की ज़बान कुछ अलग है यहाँ, दिन में चिड़िया शाम झींगर सुन लेता हूँ

जब रात को नींद न आये तो बाँध मुट्ठी, तकिये में दबा लेता हूँ
बाँटा है मैदान नुकीले तारों से जिसने, उस चेहरे पे तस्सली ढूँढ लेता हूँ