स्वेटर
तुम्हारे हाँथ का बुना स्वेटर तो नही
याद दिलाती हुई सर्द हवाएं हैं यहाँ
ठण्ड लगती है हाँथ पाव में
हथेली मल लेता हूँ, पाँव को मनाना पड़ता है
ये अखबार नही मकानों के इश्तेहार हैं
इनमे कई घरों की खबर छुप जाती है
मैं तसल्ली के लिए अपने शेहेर
के मौसम का हाल पढ़ लेता हूँ
लोगों की ज़बान कुछ अलग है यहाँ
दिन में चिड़िया, शाम झींगरों को सुनता हूँ
एक नया दोस्त बना है मेरा शायद
कभी तारों, कभी बादल संग दिखता है
जब रात को नींद न आये
तो बाँध मुट्ठी, तकिये में दबा लेता हूँ
बाटा है मैदान नुकीले तार से जिसने
उसके चेहरे पे तस्सली ढूँढता हूँ
कल बड़ी देर तक चलता ही रहा
इस गुमा में के तुमसे दूर हो सकू
माँ को शक्ल में कोई एब नही दिखता
हाँथ फेरके बालों से नुक्स हटा देती है
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