कल एक शाएर के कमरे के बहार से गुज़रा
खिड़की से देखा वो कागज़ पे कलम रगड़ रहा था
उसमे से खुश्बो की तरह नज़्म उठ रही थी
मौका पा कर मैं एक पन्ना चुरा लाया
कोरे पन्ने ने घूरा तो लगा लिखना कठिन होगा,
कुछ पन्नों के कोने बटोर लिए हैं मैंने
जिनको जेब में सहेज के रखा है
गर कभी गुरुर होने लगे खुद पर,
उनको गिन गिन कर सामने रख लूँगा