लट्टू
खुद ही फीते बाँधने में जुट गया
इतना नाराज़ हो गया माँ से
फिर लट्टू लेकर घूमता रहा
कमरे से निकला
हवा से दरवाज़ा बंद हो गया
लट्टू अन्दर, बाहर डोर हाँथ में थी
बेवकूफी ने जोर लगाया तो टूट गयी
दिन ही खराब था, शायद
सुबह से डोरों से झूझ रहा था
फीते बंधे नही तो जूते में फसा लिए
दौड़ते ही निकल जाते
अब लट्टू टूट गया, बस डोर रह गयी
थोड़ी देर दरवाज़े को ताका
लॉक खोलने की कोशिश करी
फिर भगा लॉन की तरफ
मिटटी के धेले से लट्टू बनाया
नया लट्टू न पहले जैसा दिखता था
न ही घूमता
मगर टूटे तो बनाना आसान था
शाम को माँ से दोस्ती कर ली
फीते बाँधने आ गये
कमरा खुला, लट्टू जुड़ गया
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