दशेहरा
रावण तो हर साल जलाते
अबके कुछ और जलाओ
दूजे धर्म के लोग जलाओ
नीच जाती के जन जलाओ
जिससे कोई बैर बचा हो
उसको चुनके आग लगाओ
बचे न कोई अलग हमसे
सबको एक सामान बनाओ
फर्क नही कर पाओगे,
तो नीति क्या बनाओगे?
भूस में आग लगाने को
चिंगारी कहाँ से लाओगे?
और जब सारे, एक से होंगे
फिर कैसे उत्पात मचेगा
भेद की आढ़ में सेंध लगे तो
खून खराबा रुक जायेगा?
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